बाबू दाऊदयाल सरस्वती विद्या मंदिर, ठाक, एक ऐसा शिक्षा केंद्र है जहां शिक्षा के साथ-साथ सामाजिक जिम्मेदारी और सहानुभूति के भाव को बढ़ावा देने का कार्य हो रहा है। इस पहल का सुरु होना है, जिसमें छात्र अपने छोटे हाथों से ठीक-ठाक स्थिति में रहने वाले लोहार जाति और अन्य गरीब परिवारों के बच्चों को गरम कपड़े पहना रहे हैं, जो अपने चतुर्थ श्रेणी के भैया जी और दीदी के साथ मिलकर किया जा रहा है।
इस महान कार्य की शुरुआत प्रधानाचार्य श्री बालकिशन अग्रवाल जी के मार्गदर्शन में हुई है। यह कार्यक्रम न केवल छात्रों को अपने समाज में योगदान करने के लिए प्रेरित कर रहा है, बल्कि इससे वे अपने दायित्व और संवेदना की भावना को भी समझने लग रहे हैं।
इस महत्वपूर्ण पहल की शुरुआत में सिर्फ दस छात्र और एक आचार्य जी का सहयोग हुआ था। यह पहली बार होने के कारण, शुरुआत में यह संख्या शायद कम हो सकती है, लेकिन आगामी वर्षों में हमें इसमें वृद्धि देखने का पूरा यकीन है।
इस कार्यक्रम के माध्यम से हम देख रहे हैं कि इन छोटे हाथों ने न केवल कपड़ों की वितरण की क्रिया की है, बल्कि ये उम्मीद, आशा और एकता की भावना को भी बढ़ा रहे हैं। बच्चे निर्धारित समय में आकर अपने साथियों की मदद कर रहे हैं, जिन्हें वे केवल वस्त्र नहीं बल्कि अपनी ममता और साझेदारी भी पहुँचा रहे हैं।
इस सार्थक पहल के साथ, भारत माता की जय की भावना और “जय भारत, जय जय भारत” का आदान-प्रदान है। यह एक छोटे से कदम का प्रतीक है कि जैसा कि देश हमें सब कुछ देता है, हमें भी कुछ देना सिखना चाहिए।
समाप्त में, बाबू दाऊदयाल सरस्वती विद्या मंदिर की यह पहल सामाजिक सजगता और सहानुभूति की भावना को बढ़ावा देने में एक महत्वपूर्ण कदम है। जैसे-जैसे आने वाले समय में इसम
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