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Mayank Agrawal 23 April , 2024
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कलयुग में हनुमान जी को सबसे प्रमुख 'देवता' माना जाता है। रामायण के सुंदरकांड और तुलसीदास की हनुमान चालीसा में बजरंगबली के चरित्र पर विस्तार से प्रकाश डाला गया है। इसके अनुसार हनुमान जी का चरित्र हर तरह से लोगों के लिए प्रेरणादायक है।
यह सर्वविदित है कि भगवान हनुमान भगवान राम के पूर्णतः निस्वार्थ भक्त थे। यह भक्ति और अटूट प्रेम ही था जिसने उन्हें राम और अन्य देवताओं का सम्मान दिलाया। इसी प्रकार, आपको भी अपने उद्देश्य, अपने करियर और अपने अंतिम लक्ष्य के प्रति पूरी तरह और निस्वार्थ रूप से समर्पित रहना चाहिए।
हनुमानजी किसी भी कार्य में कुशल और निपुण थे। सुग्रीव की मदद करने के लिए उन्होंने उसे श्री राम से मिलवाया और अपनी बुद्धि से श्री राम की मदद करने के लिए हर संभव प्रयास किया।
हनुमान जी दूरदर्शी थे और इसलिए उन्होंने सुग्रीव की मित्रता श्री राम से करवाई और बाद में उन्होंने विभीषण की मित्रता श्री राम से करवाई। जहां सुग्रीव ने श्रीराम की सहायता से बाली का वध किया, वहीं श्री राम ने विभीषण की सहायता से रावण का वध किया।
हनुमान जी पूरी वानर सेना के सेनापति थे। उनमें नेतृत्व के गुण थे, वे सभी को साथ लेकर चलने में विश्वास रखते थे। कठिनाइयों में निडरता और साहस पूर्वक आगे बढ़ने, लक्ष्य प्राप्त करने के लिए सबकी सलाह सुनने से ही वह सफल हो सकता है।
महाबली हनुमान जी समस्त शक्तियों के स्वामी होते हुए भी अत्यंत उदार मन के स्वामी थे। जब वह लंका के राजा रावण के सामने जाता है तो स्वयं को शक्ति का पुंज न कहकर भगवान राम का दूत कहकर अपने नाम की गरिमा बनाए रखता है।
हनुमानजी की उनके सभी गुणों के प्रति जिज्ञासा ही उनकी प्रसिद्धि का प्रमुख कारण थी। जब वे ज्ञान प्राप्त करने के लिए भगवान सूर्य के पास जाते हैं, तो सूर्यदेव इसे असंभव बताते हैं और कहते हैं कि मैं निरंतर घूमता रहता हूं, इसलिए तुम्हें ज्ञान प्राप्त नहीं हो सकता।
हनुमान जी के जीवन से हमें यह सीख मिलती है कि जब तक जीवन का लक्ष्य प्राप्त न हो जाए, हमें कड़ी मेहनत और प्रयास करते रहना चाहिए, ठीक वैसे ही जैसे जब हनुमान जी माता सीता की खोज में लंका जा रहे थे और मेनाक पर्वत पर विश्राम किया था।