दीपावली के पावन पर्व पर, स्कूल के बच्चों के लिए 5 कविताएँ प्रस्तुत हैं। इन कविताओं में दीपावली के महत्व, पर्व की खुशियों और संस्कृति का वर्णन किया गया है। बच्चे इन कविताओं को पढ़कर दीपावली के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं और स्कूल कार्यक्रम में कविता पाठन के माध्यम से अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन भी कर सकते हैं।
दीपावली, जिसे “दीपों का त्योहार” भी कहा जाता है, एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है जो हर साल अक्टूबर-नवंबर के महीने में मनाया जाता है। यह प्रकाश पर अंधकार की विजय का प्रतीक है, और यह अच्छे पर बुराई, ज्ञान पर अज्ञानता, और समृद्धि पर गरीबी की जीत का भी उत्सव मनाता है।
दीपावली का त्योहार सामाजिक और धार्मिक दोनों रूप से महत्वपूर्ण है। यह परिवार और दोस्तों के साथ एकजुट होने का अवसर है, और यह धन और समृद्धि के लिए प्रार्थना करने का समय है। दीपावली के दिन, लोग अपने घरों को साफ करते हैं और उन्हें रोशनी से सजाते हैं। वे लक्ष्मी और अन्य देवताओं की पूजा करते हैं, और वे पटाखों और मिठाइयों का आनंद लेते हैं।
दीपावली के त्योहार का बच्चों के लिए एक विशेष महत्व है। वे पटाखों की आवाज़ सुनने और मिठाइयों खाने का आनंद लेते हैं। वे नए कपड़े पहनते हैं और अपने दोस्तों और परिवार के साथ खेलते हैं। दीपावली एक ऐसा समय है जब बच्चे खुशी और उत्साह का अनुभव करते हैं।
दीपावली के त्योहार पर पांच कविताएँ:
1. साथी, घर-घर आज दिवाली!
फैल गयी दीपों की माला
मंदिर-मंदिर में उजियाला,
किंतु हमारे घर का, देखो, दर काला, दीवारें काली!
साथी, घर-घर आज दिवाली!
हास उमंग हृदय में भर-भर
घूम रहा गृह-गृह पथ-पथ पर,
किंतु हमारे घर के अंदर डरा हुआ सूनापन खाली!
साथी, घर-घर आज दिवाली!
आँख हमारी नभ-मंडल पर,
वही हमारा नीलम का घर,
दीप मालिका मना रही है रात हमारी तारोंवाली!
साथी, घर-घर आज दिवाली!
– हरिवंशराय बच्चन
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2. दीप से दीप जले
सुलग-सुलग री जोत दीप से दीप मिलें
कर-कंकण बज उठे, भूमि पर प्राण फलें।
लक्ष्मी खेतों फली अटल वीराने में
लक्ष्मी बँट-बँट बढ़ती आने-जाने में
लक्ष्मी का आगमन अँधेरी रातों में
लक्ष्मी श्रम के साथ घात-प्रतिघातों में
लक्ष्मी सर्जन हुआ
कमल के फूलों में
लक्ष्मी-पूजन सजे नवीन दुकूलों में।।
गिरि, वन, नद-सागर, भू-नर्तन तेरा नित्य विहार
सतत मानवी की अँगुलियों तेरा हो शृंगार
मानव की गति, मानव की धृति, मानव की कृति ढाल
सदा स्वेद-कण के मोती से चमके मेरा भाल
शकट चले जलयान चले
गतिमान गगन के गान
तू मिहनत से झर-झर पड़ती, गढ़ती नित्य विहान।।
उषा महावर तुझे लगाती, संध्या शोभा वारे
रानी रजनी पल-पल दीपक से आरती उतारे,
सिर बोकर, सिर ऊँचा कर-कर, सिर हथेलियों लेकर
गान और बलिदान किए मानव-अर्चना सँजोकर
भवन-भवन तेरा मंदिर है
स्वर है श्रम की वाणी
राज रही है कालरात्रि को उज्ज्वल कर कल्याणी।।
वह नवांत आ गए खेत से सूख गया है पानी
खेतों की बरसन कि गगन की बरसन किए पुरानी
सजा रहे हैं फुलझड़ियों से जादू करके खेल
आज हुआ श्रम-सीकर के घर हमसे उनसे मेल।
तू ही जगत की जय है,
तू है बुद्धिमयी वरदात्री
तू धात्री, तू भू-नव गात्री, सूझ-बूझ निर्मात्री।।
युग के दीप नए मानव, मानवी ढलें
सुलग-सुलग री जोत! दीप से दीप जलें।
-माखनलाल चतुर्वेदी
3. दीपावली
आती है दीपावली, लेकर यह सन्देश।
दीप जलें जब प्यार के, सुख देता परिवेश।।
सुख देता परिवेश,प्रगति के पथ खुल जाते।
करते सभी विकास, सहज ही सब सुख आते।
‘ठकुरेला’ कविराय, सुमति ही सम्पति पाती।
जीवन हो आसान, एकता जब भी आती।।
दीप जलाकर आज तक, मिटा न तम का राज।
मानव ही दीपक बने, यही माँग है आज।।
यही माँग है आज,जगत में हो उजियारा।
मिटे आपसी भेद, बढ़ाएं भाईचारा।
‘ठकुरेला’ कविराय ,भले हो नृप या चाकर।
चलें सभी मिल साथ,प्रेम के दीप जलाकर।।
जब आशा की लौ जले, हो प्रयास की धूम।
आती ही है लक्ष्मी, द्वार तुम्हारा चूम।।
द्वार तुम्हारा चूम, वास घर में कर लेती।
करे विविध कल्याण, अपरमित धन दे देती।
‘ठकुरेला’ कविराय, पलट जाता है पासा।
कुछ भी नहीं अगम्य, बलबती हो जब आशा।।
दीवाली के पर्व की, बड़ी अनोखी बात।
जगमग जगमग हो रही, मित्र, अमा की रात।।
मित्र, अमा की रात, अनगिनत दीपक जलते।
हुआ प्रकाशित विश्व, स्वप्न आँखों में पलते।
‘ठकुरेला’ कविराय,बजी खुशियों की ताली।
ले सुख के भण्डार, आ गई फिर दीवाली।।
-त्रिलोक सिंह ठकुरेला
4. जगमग-जगमग
हर घर, हर दर, ब़ाहर, भींतर,
नीचें ऊ़पर, हर जग़ह सुघ़र,
कैंसी उजियाली हैं पग़-पग़,
जग़मग जगमग़ जगमग़ जगमग!
छज्जो मे, छत मे, आलें मे,
तुलसी कें नन्हे थाले मे,
यह कौंन रहा हैं दृग़ को ठग़?
जगमग़ जगमग़ जगमग जगमग़!
पर्वत मे, नदियो, नहरो मे,
प्यारीं प्यारीं सी लहरो मे,
तैरतें दीप कैंसे भग-भग़!
जगम़ग जगमग़ जगमग जगमग़!
राजा के घर, कंग़ले कें घर,
है वहीं दीप सुन्दर सुन्दर!
दीवाली की श्रीं हैं पग-पग़,
जगमग़ जगमग जगमग़ जगमग
– सोहनलाल द्विवेदी
5. दीपावली का त्योहार आया
दीपावली का त्योहार आया,
साथ में खुशियों की बहार लाया।
दीपको की सजी है कतार,
जगमगा रहा है पूरा संसार।
अंधकार पर प्रकाश की विजय लाया,
दीपावली का त्योहार आया।
सुख-समृद्धि की बहार लाया,
भाईचारे का संदेश लाया।
बाजारों में रौनक छाई,
दीपावली का त्योहार आया।
किसानों के मुंह पर खुशी की लाली आयी,
सबके घर फिर से लौट आई खुशियों की रौनक।
दीपावली का त्यौहार आया,
साथ में खुशियों की बहार लाया।
– नरेंद्र वर्मा
दीपावली पर, छात्र इन कविताओं से प्रेरणा ले सकते हैं और अपनी खुद की कविताएँ लिखने का प्रयास कर सकते हैं। कविता लिखते समय, छात्रों को निम्नलिखित बातों पर ध्यान देना चाहिए:
- छवियाँ: कविता में छवियाँ शामिल करने से पाठक की कल्पना को उत्तेजित करने में मदद मिलती है। उदाहरण के लिए, एक कविता में दीपावली के रोशनी से जगमगाते घरों की छवि का वर्णन किया जा सकता है।
- नए शब्द: नई शब्दावली का उपयोग कविता को अधिक दिलचस्प और प्रभावशाली बना सकता है। उदाहरण के लिए, एक कविता में “दीपमालिका” या “आभामंडल” जैसे शब्दों का उपयोग किया जा सकता है।
- उत्सवपूर्ण भावना: दीपावली एक उत्सव का त्योहार है, इसलिए कविता में उत्सवपूर्ण भावना और माहौल होना चाहिए। उदाहरण के लिए, एक कविता में खुशी, हर्ष और उल्लास की भावनाओं का वर्णन किया जा सकता है।
छात्र अपनी आत्मरचित कविताओं को अपने सहपाठियों के साथ साझा कर सकते हैं। इससे उन्हें एक ही विषय पर कविता लिखने के विभिन्न तरीकों और दृष्टिकोणों को समझने में मदद मिलेगी। यह गतिविधि उनकी रचनात्मकता को बढ़ावा देगी और उन्हें कविता लिखने के लिए प्रेरित करेगी।
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दीपावली का संदेश:
दीपावली प्रकाश का त्योहार है। यह हमें एकजुट होने, खुशी और समृद्धि का जश्न मनाने और दूसरों की मदद करने का अवसर प्रदान करता है। इस दीपावली, आइए हम सभी अपने दिलों और मनों को दया और करुणा के प्रकाश से भरें। आइए हम दूसरों के साथ खुशी, प्यार और साझेदारी को बढ़ावा दें। आइए हम एक बेहतर और अधिक उज्जवल दुनिया का निर्माण करने के लिए मिलकर काम करें।
शुभ दीपावली!
पर्यावरण-अनुकूल दीपावली:
दीपावली एक खुशी का त्योहार है, लेकिन यह पर्यावरण के लिए हानिकारक भी हो सकता है। पटाखों से निकलने वाला धुआँ और ध्वनि प्रदूषण का कारण बन सकता है। इसलिए, यह महत्वपूर्ण है कि हम पर्यावरण-अनुकूल दीपावली मनाएँ।
पर्यावरण-अनुकूल दीपावली मनाने के कुछ तरीके हैं:
- पारंपरिक दीयों और माइक्रोलाइट बल्बों का उपयोग करें।
- पटाखों की जगह रंगोली, झालरें और अन्य सजावट का उपयोग करें।
- पानी बचाने के लिए, घरों को साफ करने के लिए कम पानी का उपयोग करें।
- अपने आसपास के वातावरण को साफ रखें।
आइए हम सभी मिलकर पर्यावरण-अनुकूल दीपावली मनाएँ और इस खूबसूरत दुनिया को बचाने में योगदान दें।