विजयदशमी एक प्रमुख हिन्दू त्योहार है, जिसे भारत में विजय उत्सव के रूप में भी जाना जाता है। यह त्योहार दशहरा के रूप में भी प्रसिद्ध है। इस दिन, भगवान राम ने रावण को पराजित किया था और सीता माता को लंका से मुक्त किया था। इस दिन के महत्व को समझने के लिए, आइए हम देखें कि कैसे हमारे स्कूल,Babu Daudayal Saraswati Vidya Mandir में विजयदशमी का कार्यक्रम आयोजित हुआ और इसके महत्व को बच्चों में किस तरह से प्रचारित किया गया।
विजयदशमी का आयोजन स्कूल में:
हमारे स्कूल, बाबू दौदयाल सरस्वती विद्या मंदिर में हर साल विजयदशमी का कार्यक्रम आयोजित होता है। इस कार्यक्रम का आयोजन प्रधानाचार्य, श्री बलकिशन अग्रवाल, के नेतृत्व में किया गया। इस कार्यक्रम में हमने एक रावण का पुतला जलाया और राम-रावण का रूपांतर भी किया।
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रावण का पुतला जलाना:
रावण का पुतला जलाना विजयदशमी का प्रमुख धार्मिक रीति-रिवाज है। इससे रावण के अधर्मी चरित्र का नाश होता है। हमारे स्कूल में भी रावण का पुतला जलाने का समारोह आयोजित किया गया। इस समारोह में हमने एक बड़ा सा रावण का पुतला बनाया और उसमें अंदर के कागज में कोयला भर दिया। फिर, हमने इस पुतले को स्कूल के मैदान में रखा और उससे आग लगाई। इसका प्रत्येक पल देखने वाले बच्चों के चेहरों पर उत्साह और प्रसन्नता का छाया था। इस प्रक्रिया के माध्यम से, हमने उन बच्चों को रावण के अधर्मी चरित्र और बुराई को समझाया।
राम-रावण का रूपांतर:
विजयदशमी के इस महत्वपूर्ण दिन पर, हमने रामायण से प्रसिद्ध कथा का एक प्रसंग चुन कर उसका रूपांतर भी किया। इस रूपांतर में, हमारे स्कूल के बच्चे राम, सीता, लक्ष्मण, और रावण के रूप में खुद को व्यक्त किया। इस प्रक्रिया में, बच्चों को राम और रावण के चरित्र को समझने और उनके गुण और दोष को प्रशंसा और आलोचना करने का अवसर मिला। इस तरह से, हमने उन बच्चों को सत्य और धर्म की महत्व को समझाने का प्रयास किया।
विजयदशमी का महत्व
विजयदशमी का त्योहार धर्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। इस दिन भगवान राम ने धर्म और न्याय की विजय हासिल की थी। रावण के प्रति उनकी विजय ने बुराई को पराजित किया और सत्य को सफलता मिली। इस दिन को विजय उत्सव के रूप में मनाने से हमारी परंपरा और सांस्कृतिक धरोहर का महत्व बढ़ता है। विजयदशमी के दिन, हमारे समाज में सत्य, धर्म, और प्रेम की जीत को याद करने का अवसर मिलता है।
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