उद्देश्यों के प्रचलित व्यावहारिक संवर्ग :
शैक्षिक संवर्गीकरण को व्यावहारिक दृष्टि से जटिल पाया गया। अतः विश्वभर में इस संवर्गीकरण को व्यावहारिक बनाने के प्रयत्न किये गये। भारत में इस प्रयत्न का नेतृत्व एन.सी.ई.आरटी ने किया। इस तरह इस संस्था की पहल पर भारत में ब्लूम के संवर्गीकरण के आधार पर अनुदेशन उद्देश्यों को निम्न वर्गों में विभाजित किया गया है। उद्देश्यों के ये वर्ग अधिगम अनुदेशन, मूल्यांकन, प्रतिपुष्टि हेतु व्यावहारिक पाये गये। गणित के अनुदेशन हेतु भी उद्देश्यों के यही वर्ग स्वीकार किये गये हैं–
1. ज्ञानात्मक उद्देश्य– इस उद्देश्य के विशिष्टीकरण के अन्तर्गत दो वर्ग हैं–
(i) प्रत्यास्मरण– छात्र निम्न का प्रत्यास्मरण करेंगे–पद, परिभाषाएँ, तथ्य, तकनीक, विधियाँ, नियम, सिद्धान्त, प्रतीक, सूत्र, समीकरण, प्रमेय आदि।
(ii) पहचान– छात्र पद, परिभाषाओं, तथ्यों, तकनीकों, विधियों, नियमों, सिद्धान्तों, समीकरण, प्रमेय आदि ……………….
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